new study says that blood tests can offer early indicator of severe covid-19 | सिर्फ एक ब्लड टेस्ट से शुरुआत में ही पता चल जाएगा कि किसे गंभीर कोविड-19 का खतरा है और किसे नहीं: स्टडी

नई दिल्ली: कोविड-19 संक्रमण (Covid-19) का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट (RT-pcr test)किया जाता है लेकिन अब एक ब्लड टेस्ट करके डॉक्टर्स यह पता लगा सकते हैं कि नए कोरोना वायरस (Coronavirus) सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित मरीज की हालत गंभीर होगी, उसे आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत पड़ेगी या फिर वह बिना ज्यादा परेशानी के जल्दी ही रिकवर हो जाएगा. एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि ब्लड टेस्ट (Blood Test) में मौजूद बायोमार्कर्स या बायोलॉजिकल संकेतों का संबंध सफेद रक्त कोशिकाओं से होता है जिसके जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि कोविड-19 के मरीज की स्थिति गंभीर होगी या नहीं.

कोविड-19 मरीजों में गंभीर परिणाम की भविष्यवाणी कर सकता है ब्लड टेस्ट

ब्लड अडवांसेज नाम के जर्नल में इस नई स्टडी को प्रकाशित किया गया है. स्टडी की मानें तो जब कोविड-19 का कोई मरीज अस्पताल के इमरजेंसी रूम में आता है तो डॉक्टर के लिए यह पता लगाना मुश्किल होता है कि इनमें से कौन गंभीर रूप से बीमार होगा और किसकी रिकवरी आसानी से और जल्दी हो जाएगी. ऐसे में इस नई स्टडी में उन बायोमार्कर्स (Biomarkers) पर फोकस किया गया है जो कोविड-19 मरीजों में गंभीर परिणामों की भविष्यवाणी करने में मदद कर सकता है.

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बायोमार्कर्स का लेवल अधिक होने का मतलब गंभीर रूप से बीमार होगा मरीज 

अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी (Yale university) स्थित येल पल्मोनरी वैस्क्युलर डिजीज प्रोग्राम के एसोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी के प्रमुख ऑथर डॉ ह्यूंग चुन कहते हैं, ‘जिन मरीजों के ब्लड टेस्ट में इन बायोमार्कर्स का लेवल अधिक होता है उन्हें आईसीयू में भर्ती करने, वेंटिलेटर पर रखने या कोविड-19 की वजह से उनकी मौत का खतरा सबसे अधिक होता है. इससे पहले हुई लैब स्टडीज में कोविड-19 के गंभीर संकेतों के बारे में पता चला है जिसमें डी-डिमर लेवल (d-dimer level)- खून का थक्का जमने की माप और साइटोकीन (Cytokin) एक तरह के प्रोटीन का लेवल शामिल है जो शरीर में इन्फ्लेमेशन की प्रतिक्रिया के तौर पर रिलीज होते हैं.’

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3 हजार मरीजों के क्लिनिकल डेटा की जांच की गई

हालांकि इससे पहले तक ऐसा कोई लैब मार्कर सामने नहीं आया था जो जिसकी मदद से मरीज में बीमारी के गंभीर लक्षण दिखने से पहले ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सके कि कोविड-19 का कौन सा मरीज गंभीर रूप से बीमार होगा और कौन सा नहीं. येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 3 हजार मरीजों के क्लिनिकल डेटा की जांच की. 

(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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