Faridabad Sunped scandal did not show CBI, saw eyes of two lost red Jitendra, exonerated, said to be in jail for 3 months, who is responsible | CBI को नहीं जची दो लाल गंवा चुके जितेंद्र की आंखों देखी, दोषमुक्त बोले-3 महीने तक जेल में रहे, उसका जिम्मेदार कौन

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फरीदाबाद15 मिनट पहले

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फरीदाबाद में अस्पताल में उपचाराधीन झुलसने से घायल हुए जितेंद्र का हाल जानने पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी। -फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

फरीदाबाद में अस्पताल में उपचाराधीन झुलसने से घायल हुए जितेंद्र का हाल जानने पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी। -फाइल फोटो

(भोला पांडेय). दो दलित मासूमों की हत्या से देश-दुनिया में सुर्खियां बने सुनपेड़ कांड का सोमवार को पटाक्षेप हो गया। इसमें शामिल सभी 11 राजपूत समाज के लोग दोषमुक्त करार दे दिए गए। मौत के सहारे प्रदेश में दलित और सवर्ण राजनीति को राजनेताओं के मुंह पर कोर्ट के फैसले ने करारा तमाचा जड़ा है। दोषमुक्त कर दिए लोगों ने अब ऐसे राजनेताओं और पीड़ित के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की चेतावनी दी है।

दूसरी ओर सबसे बड़ा सवाल अभी अनसुलझा है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI के साक्ष्य के ढांचे में पीड़ित जितेंद्र की आंखों देखी कहानी किसी भी तरह से फिट नहीं बैठी। साढ़े 5 साल बीत गए। फैसला भी आ गया, लेकिन CBI अब तक असली कातिल तक क्यों नहीं पहुंच पाई।

जिंदा जल गए दो बच्चों वैभव और दिव्या की फाइल फोटो।

जिंदा जल गए दो बच्चों वैभव और दिव्या की फाइल फोटो।

19 अक्टूबर 2015 की रात सुनपेड़ गांव में रात करीब ढाई बजे घर में सो रहे दलित जितेंद्र के कमरे में आग लग गई। इस घटना में उनकी 11 माह की बेटी दिव्या और चार साल के बेटे वैभव की जलकर मौत हो गई थी। पत्नी रेखा और खुद जितेंद्र भी झुलस गए थे। इस घटना के बाद देशभर में दलित उत्पीड़न को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, पूर्व सांसद वृंदा करात समेत विभिन्न राजनैतिक दलों के राजनेता सुनपेड़ पहुंचकर जमकर राजनैतिक रोटी सेकी। हरियाणा सरकार ने घटना के तीन दिन के अंदर ही इस केस को CBI के हवाले कर दिया था।

ये थी असली विवाद की जड़
इस गांव में घटना से एक साल पहले से तनाव चल रहा था। दलितों और राजपूत जाति के लोगों के बीच झगड़ा मोबाइल को लेकर शुरू हुआ। 5 अक्टूबर 2014 को राजपूत समाज के तीन युवकों इंद्राज उर्फ पप्पी, भरतपाल और मोहन सिंह उर्फ पप्पू की हत्या कर दी गई। आरोप दलित जितेंद्र के परिवार पर लगा था। पुलिस ने 11 को गिरफ्तार किया था। इसी से दोनों पक्षों में तनाव चल रहा था।

अब कहानी का दूसरा पहलू, जो जितेंद्र ने बताया
दो मासूम बच्चों को खोने वाले जितेंद्र ने शिकायत में कहा था, ’19 अक्टूबर 2015 की रात को गांव में माता का जागरण था। परिवार के कुछ लोग जागरण में गए हुए थे, जबकि मैं परिवार बच्चों सहित अपने घर के अंदर सोया हुआ था। बलवंत परिवार के कुछ लोग दीवार फांदकर घर में घुस आए। कमरे में लगे जंगले से और मेन गेट के नीचे से बैड पर सोए हुए बच्चों पर पेट्रोल डाल दिया। पेट्रोल की छींट लगते ही मैं जग गया। उस वक्त करीब ढाई बजे थे। जब उसने गेट खोला तो कमरे के अन्दर बलवन्त, जगत, ऐदल सिंह, नौनिहाल, घुस आए।

कमरे के बाहर खडे हुए जोगिन्द्र, सूरज, आकाश, अमन, संजय, धर्मसिंह व देशराज को मैंने देखा। अंदर कमरे में खडे ऐदल सिंह और नौनिहाल ने माचिस की तिल्ली से आग लगा दी। आग लगते ही सारे लोग भाग गए। पेट्रोल आग से मैं, मेरी पत्नी रेखा, मेरे दोनों बच्चे दिव्या और वैभव बुरी तरह से जल गए। शोर मचाने पर पड़ोसियों ने हमें घर से बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया’।

कमरे में जला हुआ बैड, जिस पर जितेंद्र, उसकी पत्नी और दो बच्चे सोए हुए थे।

कमरे में जला हुआ बैड, जिस पर जितेंद्र, उसकी पत्नी और दो बच्चे सोए हुए थे।

CBI के सबूत में फिट नहीं बैठी कहानी
लंबी जांच प्रक्रिया चलने के बाद भी CBI जितेंद्र की कहानी को अपने सबूतों के ढांचे में फिट नहीं बिठा पाई। आरोपियों की मौजूदगी समेत कई वैज्ञानिक तरीकों से जांच की। मौका मुआयना किया, लेकिन कहीं से आरोपियों की इस घटना में संलिप्तता साबित नहीं कर पाई। अब सवाल ये भी खड़ा हुआ कि CBI असली कातिल को भी नहीं पकड़ पाई।

इस अपमान के खिलाफ जाएंगे हाईकोर्ट
कमरे में आग लगाने के आरोपी बनाए गए एडवोकेट ऐदल सिंह रावत ने कहा कि पीड़ित जितेंद्र और राजनेताओं ने जिस तरह से झूठे केस में उन्हें और उनके परिवार को फंसाकर बदनाम किया है वह इन सबके खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि का केस दायर करेंगे। उन्होंने सवाल किया कि इस झूठे केस में उनके परिवार के 11 लोग तीन महीने तक जेल में रहे वह समय कौन लौटाएगा।

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