scope of legal gripes against Love Jihad has increased know what is the law in which state
लव जेहाद के खिलाफ कानूनी शिकंजे का दायरा बढ़ता दिख रहा है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की राह पर चलते हुए मध्य प्रदेश कैबिनेट ने भी नए अवैध धर्मांतरण विरोधी विधेयक को मंजूरी दे दी है। भाजपा नेता मुस्लिम पुरुषों और हिंदू महिलाओं के रिश्ते को ‘लव जेहाद’ करार देते रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस देश के आठ राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून किसी न किसी रूप में लागू है जिनमें गुजरात, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और झारखंड शामिल हैं। केंद्र सरकार और सर्वोच्च अदालत ने राज्यों के इन कानूनों को भले ही अभी मान्यता नहीं दी है, लेकिन हरियाणा और कर्नाटक समेत कई और राज्य इस तरह का कानून बनाने की तैयारी में हैं।
विभिन्न राज्यों में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ किए गए प्रावधान इस प्रकार हैं:
मध्य प्रदेश- धार्मिक स्वातंत्र्य विधेयक- 2020
1-धर्म परिवर्तन के इच्छुक व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
2-धर्म परिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति को भी धर्म परिवर्तन करने से 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी।
3-पूर्व जानकारी देने के प्रावधान के उल्लंघन पर तीन से पांच साल तक जेल और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
4-अवैध रूप से धर्म परिवर्तन पर एक से पांच साल तक जेल और 25 हजार रुपए जुर्माने का है प्रावधान।
5- अनुसूचित जाति-जनजाति और नाबालिग के अवैध धर्म परिवर्तन पर दो से 10 साल तक जेल और 50 हजार रुपए जुर्माना।
6-अपना धर्म छुपाकर या लालच देकर विवाह करने पर तीन से 10 साल तक जेल और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान।
7-सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन पर पांच से 10 साल तक सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
8-एक बार से अधिक कानून तोड़ने पर पांच से 10 साल तक की सजा का प्रावधान।
9-अवैध रूप से धर्म परिवर्तन में शामिल संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाएंगे और इसमें शामिल लोग दंडित होंगे।
10-माता-पिता, भाई-बहन या अभिभावक धर्म परिवर्तन की शिकायत कर सकेंगे।
यूपी: विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश- 2020
यूपी के नए कानून के मुताबिक यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन कराने की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है। तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहर सुख-सुविधा का लालच देकर भी धर्म परिवर्तन कराना अपराध है। धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के माता-पिता या रिश्तेदार भी केस दर्ज करा सकते हैं।
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अध्यादेश में सामान्य तौर पर अवैध धर्म परिवर्तन पर पांच साल तक की जेल और 15 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति की नाबालिग लड़कियों से जुड़े मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। अवैध धर्म परिवर्तन कराने का दोबारा दोषी पाए जाने पर सजा दो गुनी हो जाएगी।
कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में दो महीने पहले आवेदन करना होगा। इसके बाद पुलिस धर्म परिवर्तन के वास्तविक कारण और मकसद की जांच करेगी। इसके अलावा आवेदक को धर्मपरिवर्तन के 60 दिन के भीतर मजिस्ट्रेट को एक अलग से हलफनामा देना होगा। इसके बाद मजिस्ट्रेट आपत्ति दर्ज करने के लिए 21 दिन की नोटिस आम जनता के लिए सार्वजनिक करेंगे। इसके बाद ही धर्म परिवर्तन को मंजूर किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश का कानून:
कांग्रेस सरकार ने साल 2006 में अवैध धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून पास किया। भाजपा सरकार ने साल 2019 में इसमें एक प्रावधान जोड़कर उन शादियों को अमान्य कर दिया जिसमें अवैध धर्म परिवर्तन कराया गया हो। यह अनिवार्य कर दिया गया कि जो व्यक्ति धर्म बदलना चाहता है, उसे जिला प्रशासन को एक महीने पहले जानकारी देनी होगी।
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हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने लाया था कानून:कांग्रेस सरकार ने 2006 में धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून पास किया। बीजेपी सरकार ने 2019 में इसमें एक प्रावधान जोड़कर उन शादियों को अमान्य कर दिया जिसमें धर्म परिवर्तन कराया गया हो और यह अनिवार्य कर दिया गया कि जो व्यक्ति धर्म बदलना चाहता/चाहती है, उसे जिला प्रशासन को एक महीने पहले जानकारी देनी होगी। ईसाईयों के संगठनों ने कोर्ट में इस प्रावधान को चुनौती दी और अदालत ने इस प्रावधान को खारिज कर दिया।
उत्तराखंड में अवैध धर्मांतरण गैर जमानती अपराध:
उत्तराखंड का धर्म स्वातंत्र्य कानून-2018 धोखे में रखकर, बलपूर्वक, फर्जीवाड़े आदि के आधार पर की गई शादी और धर्म परिवर्तन को अमान्य करार देता है। कानून इसे गैर-जमानती अपराध मानता है। इसके लिए 1 से 5 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। अगर माता-पिता और भाई-बहन को लगता है कि उसकी संतान का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया है, तो कानून उन्हें जिलाधिकारी के पास शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार देता है। हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तराखंड में कानून है कि जिसका धर्म परिवर्तन हो रहा है, वह अपनी लिखित सहमति जिलाधिकारी को दे।
अवैध धर्मांतरण विरोधी कानून वाला पहला राज्य ओडिशा:
धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य ओडिशा है। इस राज्य में साल 1967 में ‘उड़ीसा धर्म स्वातंत्र्य’ कानून कानून लागू हुआ। इस कानून के तहत जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को अपराध घोषित करते हुए एक साल तक की जेल और 5,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया। अनुसूचित जाति-जनजाति के केस में जेल की सजा दो साल की गई और जुर्माना 10 हजार रुपए किया गया। धर्म परिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति के लिए धर्म परिवर्तन के 15 दिन के अंदर इसकी जानकारी जिलाधिकारी को देना अनिवार्य किया गया।
इन राज्यों में वापस हुआ कानून:
-आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश में साल 1978 और उसके बाद अवैध धर्मांतरण कानून लागू किए गए, लेकिन साल 2004 में इन्हें वापस ले लिया गया। राजस्थान का अवैध धर्मांतरण विधेयक भी केंद्र सरकार ने वापस कर दिया।