Politics News : नए खिलाड़ी, नए समीकरण और सामने योगी सेना…उत्तर प्रदेश में अभी से सजने लगा 2022 का चुनावी रणक्षेत्र – up election 2022 yogi owaisi rajbhar shivpal mayawati aap akhilesh congress
यूपी के 2022 के चुनावी रणक्षेत्र के लिए सेनाएं 2020 में ही सजने लगी हैं। विधानसभा चुनाव में आप की एंट्री के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी लखनऊ पहुंच कर चुनावी बिसात बिछाई। उन्होंने बुधवार को सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात कर मोर्चा बनाने का ऐलान किया। नए समीकरणों और खिलाड़ियों के बढ़ने के साथ ही भाजपा के खिलाफ खुद को मुख्य विपक्ष साबित करने की लड़ाई भी तेज हो गई है।
2014 से शुरू हुए भाजपा के जीत के सिलसिले को रोकने के लिए विपक्ष का हर दांव अब तक फेल हुआ है। विपक्ष के कद्दावर चेहरों, दलों की एकता भी नतीजे नहीं बदल सकी। अब 2022 के रण में भाजपा मोदी के नाम के साथ ही योगी सरकार के काम के साथ चुनाव में उतरेगी। जानकारों का मानना है कि विपक्ष के बढ़ते मोर्चे फिलहाल भाजपा के लिए सांसत से अधिक राहत के ही सबब है। छोटे दलों की बढ़ती भागीदारी वोटों के बिखराव की जमीन तैयार करेगी।
शिवपाल को भी जोड़ेंगे औवेसी-राजभर!
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ लड़ चार सीट जीतने वाली ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ औवेसी ने गठबंधन के लिए हाथ मिलाया है। एक निजी होटल में ही मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव को भी साथ जोड़ने का इशारा किया। औवेसी ने कहा, ‘शिवपाल यूपी की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं। उन्हें यहां की राजनीति का लंबा तजुर्बा भी है। हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उनसे मिल चुके हैं। जल्द ही मैं भी मुलाकात करूंगा।’ शिवपाल भी गैर भाजपा दलों का मोर्चो बनाने की बात कह चुके हैं। बिहार में साथ चुनाव लड़ी बसपा के साथ यूपी में चुनावी भागीदारी पर औवेसी ने कहा कि अभी इस पर कोई बात नहीं हुई है।
जमीन पर दम दिखाना बाकी
बयानों और चर्चाओं में ध्यान खींचने वाले यह दल फिलहाल अभी तक जमीन पर बेदम रहे हैं। ओवैसी की पार्टी ने 2017 में यूपी की 38 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 0.25% वोट हासिल हुए थे। ओम प्रकाश राजभर के खाते में भी चार विधायक तब आए जब वह भाजपा के साथ गठबंधन में थे। शिवपाल यादव की पार्टी लोकसभा चुनाव में शिवपाल की सीट छोड़ कहीं भी असर दिखाने में बेअसर रही। हालांकि, तीन दलों के वोट बेस कागजों पर पूर्वांचल व वेस्ट यूपी की कई सीटों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। खासकर, औवेसी मुस्लिम बहुल सीटों पर ध्रुवीकरण का रास्ता खोल सकते हैं। बिहार में जीत ने उनके हौसले और बढ़ाए हैं। हालांकि, कांग्रेस सहित दूसरे दल उन पर भाजपा की ‘बी’ टीम होने का आरोप लगाते रहे हैं।