यूपी में पैसे के बल पर पॉजिटिव लोग हो रहे निगेटिव

यूपी में पैसे के बल पर पॉजिटिव लोग हो रहे निगेटिव

पूरी दुनिया कोरोना कोरोना से जंग लड़ रही है. इस जंग में अहम किरदार निभा रहा है कोविड टेस्ट यानी ये पता करने का टेस्ट कि आखिर किसे ये बीमारी है और किसे नहीं. लेकिन यूपी में इस टेस्ट रिपोर्ट को लेकर अलग ही गोरखधंधा चल रहा है. वहां कुछ लैब्स का स्टाफ इस धंधे में शामिल है और वह लोगों को मनमानी कोरोना रिपोर्ट बना कर दे रहे हैं.

कोरोना ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से एक करोड़ की ओर बढ़ रही है. वहीं एक लाख 43 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. लेकिन इसके बावजूद दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी के नाम पर धंधा चल रहा है. आजतक ने कोरोना की रिपोर्ट पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा किया है, जहां जिला अस्पतालों और लैब के कर्मचारी चंद पैसों के लिए लोगों की जिंदगी के साथ खेल रहे हैं.

इनवेस्टिगेशन टीम यूपी के तीन शहरों में गई और कोरोना रिपोर्ट के फर्जीवाड़े का खुलासा किया. इसके लिए लैब टेक्नीशियन से संपर्क किया गया और उन्होंने 1500 से लेकर 3 हजार रुपये में फर्जी रिपोर्ट देने की गारंटी दी. हैरानी की बात ये है कि दो अस्पतालों में तो टेस्ट के लिए सैंपल तक लेने की जरूरत तक नहीं समझी गई और तीसरे अस्पताल में किसी और व्यक्ति की रिपोर्ट के लिए हमारे रिपोर्टर के टेस्ट से ही काम चला लिया गया.

यूपी में इस कोरोना टेस्ट रिपोर्ट को लेकर अलग ही गोरखधंधा चल रहा है. वहां कुछ लैब्स का स्टाफ इस धंधे में शामिल है और वह लोगों को मनमानी कोरोना रिपोर्ट बना कर दे रहे हैं. मतलब अगर आप कोरोना निगेटिव रिपोर्ट चाहते हैं तो वो भी मिलेगी और अगर कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट चाहिए तो वो भी मिलेगी, बस आपको अपनी जेब थोड़ी ढीली करनी होगी.

इंवेस्टिगेशन में कई ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए जिसने कोरोना से जंग के अभियान पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. ये सवाल खड़े हुए हैं उस अस्पताल स्टाफ की कारगुजारियों की वजह से जो पैसे के बदले किसी भी तरह की कोरोना रिपोर्ट देने का घिनौना काम कर रहे हैं. कोरोना की फर्जी रिपोर्ट के लिए 1500 से तीन हजार रुपये तक की मांग की गई. टीम के रिपोर्टर ने खुद को एक ऑफिस में कर्मचारी बताकर झूठी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट बनाने के लिए कानपुर के यूएचएम जिला अस्पताल के लैब स्टाफ अमित से बात की ताकि इस रिपोर्ट की मदद से वो अपने ऑफिस से छुट्टी ले सके. अमित जल्दी ही इस तरह की झूठी रिपोर्ट बनाने के लिए तैयार हो गया और बदले में उसने 1500 रुपयों की मांग की.

रिपोर्टर ने उसी शाम अमित से फिर मुलाकात की. हैरानी की बात ये है कि कोई सैंपल तक नहीं लिया गया. कोई लैब जांच नहीं की गई. लेकिन एक कोरोना रिपोर्ट तैयार कर दी गई. यानी बिना सरकारी एजेंसियों को कोई जानकारी दिए अस्पताल के लैब कर्मचारी ने झूठी कोरोना रिपोर्ट तैयार कर दी. इस दौरान लैब कर्मचारी ने यह भी दावा किया कि न जानें कितनी रिपोर्टें अबतक बना कर दे दीं, कोई दिक्कत नहीं आई.

उन्नाव में भी तैयार हुई फर्जी कोरोना रिपोर्ट

कानपुर के बाद  टीम उन्नाव के पंडित उमा शंकर जिला अस्पताल में पहुंची. इस अस्पताल के लैब स्टाफ एबी चौधरी ने टीम को भरोसा दिलाया कि दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति की निगेटिव कोविड रिपोर्ट 1500 रुपये में तैयार करके दे दी जाएगी.

हैरानी की बात ये थी कि किसी भी तरह के डॉक्यूमेंट की जांच नहीं की गई. वो भी उस व्यक्ति के नाम पर बनने वाली रिपोर्ट के लिए जो कोसों दूर दिल्ली में बैठा था. इतना ही नहीं, औपचारिकता पूरी करने के लिए लैब असिस्टेंट ने हमारे ही रिपोर्टर का एंटीजन टेस्ट करा दिया ताकि दिल्ली में बैठे व्यक्ति की फर्जी रिपोर्ट तैयार की जा सके. और इस तरह कोरोना की एक और फर्जी रिपोर्ट तैयार कर दी गई.

लखनऊ में तीन हजार में तैयार हुई फर्जी रिपोर्ट

इसके बाद टीम लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल पहुंची. इस अस्पताल का लैब स्टाफ रईस 3000 रुपये में फर्जी पॉजिटिव रिपोर्ट बनाने के लिए तैयार हो गया.  इंवेस्टिगेशन से ये बिलकुल साफ हो गया कि चंद रुपयों के लालच में किस तरह यूपी के अलग-अलग जिलों में लैब स्टाफ फर्जी कोरोना रिपोर्ट तैयार करने के गोरखधंधे में शामिल हैं और कोरोना को खत्म करने में जुटे लोगों की कोशिशों पर पानी फेर रहे हैं.

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