4500 रुपये महीना कमाने वाली आशा वर्कर ‘श्रीमती मतिल्दा कुल्लू’ फोर्ब्स की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में हुईं शामिल

4500 रुपये महीना कमाने वाली आशा वर्कर ‘श्रीमती मतिल्दा कुल्लू’ फोर्ब्स की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में हुईं शामिल

जानिए उनके जीवन की प्रेरक कहानी

इंसान अगर चाहे तो अपनी मेहनत से किस्मत को भी बदलकर सफलता की नई कहानी लिख सकता है। क्या आप सोच सकते हैं कि एक आम महिला जिसकी तनख्वाह मात्र 4500 रूपये हो वो दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल हो सकती है?
इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं ओडिशा की रहने वाली श्रीमती मतिल्‍दा कुल्लू। जो पेशे से एक आशा वर्कर हैं। लेकिन आज उन्होंने फोर्ब्स की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल होकर एक मिसाल कायम की है। मतिल्दा (Matilda Kullu) अपने काम के तहत लोगों को स्वास्थ्य के संबंध में लगातार जागरुक कर रही हैं। उनकी कोशिशों का ही असर है कि बड़ागांव तहसील के लोग अब बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल जाने लगे हैं। फोर्ब्स इंडिया ने वुमन पावर लिस्ट 2021 (Forbes Women Power List 2021) जारी की है। इस लिस्ट में सबसे चौकांने वाला नाम मतिल्दा कुल्लू का ही था। लेकिन एक छोटे से गांव से निकलकर फोर्ब्स की सूची में शामिल होने का सफर तय करना श्रीमती मतिल्दा कुल्लू जी के लिए आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरणादायी सफर।

आशा वर्कर के रूप में 15 सालों से दे रही हैं सेवाएं
ओडिशा (Odisha) के सुंदरगढ़ (Sundargarh) जिले की रहने वाली श्रीमती मतिल्‍दा कुल्‍लू एक आशा वर्कर हैं। 45 वर्षीय मतिल्दा पिछले 15 सालों से सुंदरगढ़ के बड़ागांव तहसील के गर्गडबहल गांव में अपनी सेवाएं दे रही हैं। कोरोना काल में मतिल्‍दा ने जिस तरह लोगों के लिए काम किया उसने उन्हें अब दुनिया में पहचान दिलाई। नौकरी के पहले दिन से ही वो लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती रहीं। जिसके परिणाम में लोग तांत्रिक की जगह अस्पताल जाने लगे। इसके अलावा उन्होंने अपने इलाके की महिलाओं के लिए खास काम किया है।

लोग उड़ाते थे मजाक फिर भी नहीं छोड़ा काम

मतिल्‍दा जिस गांव में कार्य करती हैं वो शहर से ज्यादा दूर है इस कारण यह गांव बहुत पिछड़ा हुआ था। यहां के लोग जागरूक नहीं थे। यही वजह था कि एक समय ऐसा भी था जब, यहां ग्रामीण बीमार होने पर इलाज के लिए नहीं जाते थे। इसकी वजह से उनकी असमय मृत्यु हो जाती थी। साथ ही जागरूकता नहीं होने की वजह से लोग अपने बच्चों को टीके भी नहीं लगवाते थे, जिसकी वजह से बच्चों में बड़े होने पर कई बीमारियां पैदा हो जाती थी। किसी के बीमार होने पर ग्रामीण पहले इलाज के लिए अस्‍पताल जाने की बजाय काले जादू का सहारा लेते थे। लोगों की यही सोच बदलना मतिल्‍दा के लिए काफी चुनौती भरा था। जब वो ग्रामीणों को समझाने जाती तो लोग उनका मज़ाक उड़ाते थे। अस्पताल जाने से हिचकिचाते थे।

मतिल्दा ने बदली ग्रामीणों की सोच
लोगों के मजाक उड़ाने के बाद भी मतिल्दा ने उन्हें समझाना नहीं छोड़ा। वो लोगों को अस्पताल जाने और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की जानकारी देने के लिए घर-घर जाती थीं। जैसे-जैसे समय बीता, लोगों को उनकी बात समझ आने लगी। अब गांव वाले अपनी सेहत के लिए जागरुक हो गए हैं। हर छोटी-छोटी बीमारी का इलाज कराने अस्‍पताल पहुंचते हैं। मतिल्‍दा के प्रयास से ही गांव में काले जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्‍म किया जा सका है।

महीने में करती हैं केवल 4500 रूपये की कमाई

लोगों को जागरूक करने वाली आशा वर्कर मतिल्‍दा कुल्लू रोज सुबह 5 बजे ही उठ जाती हैं। मवेशियों की देखभाल और घर का चूल्‍हा-चौका संभालने के बाद गांव के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए घर से निकल पड़ती हैं। मतिल्‍दा साइकिल से गांव के कोने-कोने में पहुंचती हैं। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि अब सभी ग्रामीण कोरोना की वैक्सीन भी लगवा रहे हैं। लेकिन इतना कार्य करने के बाद भी मतिल्दा केवल महीने के 4500 रूपये ही कमाती हैं। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मतिल्दा टेलरिंग का काम भी करती हैं।

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी नहीं मानी हार
लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए मतिल्दा कभी पीछे नहीं हटीं। यहा तक कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब पूरे देश को घर पर रहने को कहा जा रहा था तो आशा वर्कर्स को घर घर जाकर हेल्थ चेकअप करने और ग्रामीणों को नए वायरस के बारे में जागरुक करने को कहा गया था। मतिल्दा के मुताबिक, लोग कोविड टेस्ट कराने से भाग जाते थे, उन्हें समझाना काफी कठिन था। कोविड की दूसरी लहर के दौरान मतिल्दा भी कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं। लेकिन उन्होंने डर कर हार नहीं मानी और 2 सप्ताह बाद ही फिर से अपने कार्यो में जुट गईं।

अपने कार्यों की बदौलत फोर्ब्स की सूची में हुईं शामिल

लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और उन्हें सही जानकारी देने के लिए फोर्ब्स ने मतिल्दा कुल्लू को दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया है। इस लिस्ट में अरुंधति भट्टाचार्य, अपर्णा पुरोहित, सान्या मल्होत्रा जैसे दिग्गज नामों के बीच आशा वर्कर मतिल्‍दा कुल्‍लू ने अपनी जगह बनाई है। मतिल्दा को यह उपलब्धि गर्गडबहल गांव के ग्रामीणों के लिए किए गए उनके काम के लिए मिली है। राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पावर 2021 सूची में मतिल्दा के नामित होने पर उन्हें बधाई दी है। फोर्ब्स इंडिया ने मतिल्दा के बारे में लिखा है कि 4,500 रुपये कमाने वाली मतिल्दा कुल्लू ने अपना जीवन बड़ागांव तहसील के 964 लोगों की देखभाल के लिए समर्पित कर दिया है। मातिल्दा इन लोगों के लिए कोरोना वॉरियर हैं। मतिल्दा रोज 50-60 घरों में जाकर टेस्ट करती थीं। जिन 964 लोगों की देखभाल मतिल्दा ने की है, उनमें से ज्यादातर आदिवासी हैं। मतिल्दा का 4 लोगों का परिवार है।

शिशु के जन्म से लेकर, बच्चों के टीकाकरण तक, गर्भवती महिलाओं से लेकर कोरोना पीड़ित तक को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने वाली मतिल्दा कुल्लू आज सही मायने में लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत (Inspiration) है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर सफलता की नई कहानी (Success Story) लिखी है। PMC YELLOW PAGES श्रीमती मतिल्जा कुल्लू जी की समाज सेवा और उनके कार्यों की तहे दिल से सराहना करता है।

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