West Bengal results: बंगाल में मिली हार से बीजेपी पर बढ़ेगा दबाव, यूपी और उत्तराखंड में अगले साल होने हैं चुनाव – west bengal election result loss in bengal may put pressure on bjp in up polls next years
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए काफी मायने रखते हैं। असम जैसे मुस्लिम आबादी वाले राज्य में बीजेपी ने दोबारा बाजी मारी है तो तमिलनाडु में बीजेपी 3 सीटें जीतने में कामयाब रही है, एक में आगे है। केरल में पार्टी के वोट शेयर में इजाफा हुआ है और पुडुचेरी में 16 सीट के साथ एनडीए को बहुमत मिला है लेकिन इन सबके बीच जिस जीत के लिए पार्टी की लालसा सबसे ज्यादा थी, वहां उसे खारिज कर दिया गया। बंगाल में बीजेपी की हार से अगले साल होने वाले राज्य चुनावों खासकर यूपी में पार्टी के ऊपर दवाब बढ़ना तय है।
ममता के खिलाफ तुष्टिकरण को बनाया था मुद्दा
5 साल पहले बीजेपी ने बंगाल में 10 फीसदी वोट के साथ 3 सीटों में जीत दर्ज की थी। फिर त्रिपुरा में जीत का स्वाद चखने के बाद को पार्टी की बंगाल में उम्मीदें भी बढ़ गई थीं। बीजेपी को बंगाल में जीत वास्तविक महसूस होने लगी थी। बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ प्रचार के लिए बीजेपी की मेहनत साफ तौर पर दिखाई दी। पार्टी ने विशिष्ट जाति समूहों और महिला वोटों पर नजर रखते हुए मुस्लिम तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार और स्थानीय नेताओं की गुंडागर्दी को ममता बनर्जी के खिलाफ मुद्दा बनाया।
हालांकि इन सबके रविवार को बंगाल से आए नतीजों में बीजेपी के लिए सकारात्मक पहलू यही है कि पार्टी के वोट शेयर में पहले के मुकाबले इजाफा हुआ है जो उसका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करेगा। बीजेपी अब बंगाल में मुख्य विपक्ष के रूप में उभरी है।
बीजेपी में आत्ममंथन का दौर जारी
बंगाल में हार के बाद बीजेपी में आत्ममंथन का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी पदाधिकारियों का मानना है कि कि पार्टी बंगाल के कुछ वर्गों तक उस तरह नहीं पहुंच पाई जैसी योजना बनाई गई थी। इसके उलट तृणमूल के वोटर्स ने (मुस्लिम समेत) ममता बनर्जी पर जमकर वोट लुटाए जो तृणमूल कांग्रेस को राज्य में तीसरी बार सत्ता दिलाने में कारगर साबित हुआ। पार्टी में अंदरूनी चर्चा यह भी है कि कुछ कमजोर संगठनों ने बीजेरी के कैंपेन को नुकसान पहुंचाया है।
‘विधानसभा चुनाव में पार्टी का मनोबल उतना अधिक नहीं था’
पार्टी के एक सूत्र के अनुसार, बीजेपी के 18 लोकसभा सीटों को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि जनता मोदी को दूसरे कार्यकाल में देखना चाहती थी। उन्होंने माना कि राज्य चुनावों में मनोबल उतना अधिक नहीं था। असम और बंगाल जैसे देश के नए इलाकों में पकड़ बनाने की नजर से रविवार के नतीजे बीजेपी के लिए बेहद अहम है। इसने पार्टी को संसदीय बहुमत के लिए उत्तर और पश्चिम क्षेत्रों पर निर्भरता घटाई है। असम में जीत ने पूर्वोत्तर में बीजेपी का कद बढ़ाया है हालांकि सच यह भी है कि बंगाल में मिला झटका काफी गंभीर है।
यूपी चुनाव के लिए बीजेपी पर बढ़ा दबाव
इससे अब यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी पर दबाव बढ़ गया है। उत्तराखंड में भी अगले साल चुनाव होने है जहां पार्टी पहले से ही बहुत अच्छी हालत में नहीं है। 2014 और 2019 में उत्तर प्रदेश बीजेपी के संसदीय बहुमत की रीढ़ रहा है, ऐसे में आगे माहौल बनाए रखने के लिए यूपी में होने वाले चुनाव बेहद अहम होंगे।
असम की जीत से पूर्वोत्तर में मजबूत होगा जनाधार
बंगाल अब एक प्रतिकूल राजनीतिक और वैचारिक युद्ध का मैदान बन गया है। ऐसे में बीजेपी अगर यहां से जीत जाती तो इसके इसके हिंदुत्व और विकास के मॉडल की जीत बताई जाती। हालांकि असम में मिली जीत बीजेपी को सांत्वना देने का काम कर रही है। साथ ही इससे पार्टी को पूर्वोत्तर में अपना आधार मजबूत करने का मौका मिलेगा। यहां बीजेपी ने कांग्रेस-एआईयूडीएफ के मजबूत गठबंधन और सत्ता विरोधी लहर की आशंकाओं के बीच जीत हासिल की है।
बंगाल में पीएम मोदी (फाइल फोटो)