up panchayat election 2021: UP Panchayat Chunav News: UP ki Panchayaton me tajurbe ke mukabale yuva josh ko tavajjo, aankade de rahe gavahi, UP Panchayat Chunav News: यूपी की पंचायतों में तजुर्बे के मुकाबले युवा जोश को तवज्जो, आंकड़े दे रहे गवाही
उत्तर प्रदेश की पंचायतों का नजरिया इस बार बदल रहा है। कुछ साल पहले सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में इलाके के सबसे बुजुर्ग को पंचायत की कमान सौंपना सबसे तसल्लीबख्श काम माना जाता था, लेकिन अब माहौल बदला है। यूपी सरकार के जरिए हो रहे महिला सशक्तिकरण अभियान और ग्रामीण क्षेत्रों में कराए गए विकास कार्यों के चलते अब ग्रामीण युवा और महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे ही बदले माहौल के बीच बीते 28 मार्च को आगरा में बडेगांव के ग्रामीणों ने पंचायत कर एक शिक्षित बेटी कल्पना सिंह गुर्जर को गांव का प्रधान बनाने का फैसला ले लिया। ग्रामीण लोकतंत्र और आपसी भाईचारे को मजबूत करने की यह एक शानदार पहल है।
अपर निर्वाचन आयुक्त वेदप्रकाश वर्मा मानते हैं कि अब इस तरह की पहल राज्य के अन्य गांवों में भी हो सकती है। इस तरह के प्रयासों से जहां चुनाव खर्च बचता है, वही गांवों में पढ़ा लिखा युवा ग्राम प्रधान बनता है। गुजरात में इस तरह से तमाम लोगों को ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान चुना है। वेदप्रकाश को उम्मीद है कि बीते पंचायत चुनावों के मुकाबले इस बार बड़ी संख्या में पढ़े लिखे युवा और महिलाएं गांव की राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने उतरेंगे। इसके चलते गांवों में विकास संबंधी कार्यों में तेजी आयेगी और ग्रामीण लोकतंत्र भी मजबूत होगा।
युवा प्रत्याशियों की जीत का ग्राफ बढ़ा
अपर निर्वाचन आयुक्त वेदप्रकाश वर्मा के यह कथन पंचायत चुनाव के आंकड़ों पर आधारित है। पंचायत चुनावों के पुराने नतीजे यह बताते हैं कि गांवों का नजारा लगातार बदल रहा है। अब चुनाव दर चुनाव युवा प्रत्याशियों की जीत का ग्राफ बढ़ रहा है। वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव जीतने वाले कुल उम्मीदवारों में 21 से 35 साल वालों की संख्या लगभग 35.18 प्रतिशत थी। इस चुनाव में 43.8 प्रतिशत महिला उम्मीदवार चुनाव जीती थी। चुनाव जीतने वालों में मात्र 9.6 प्रतिशत ही निरक्षर उम्मीदवार थे।
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पंचायतों की भूमिका बदली
इस बदलाव को लेकर जय नारायण पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर बृजेश मिश्र कहते हैं कि अब पंचायत चुनाव जिस तर्ज पर होने लगे हैं, उसमें बड़ी उम्र के लोग धीरे-धीरे अनफिट होते जा रहे हैं। दूसरा, अब पंचायतों की भूमिका भी बदल गई है। पंचायतें पहले आपसी झगड़ा-झंझट निपटाने का केंद्र हुआ करती थी, लेकिन अब वह विकास की धुरी बन चुकी हैं। अब वजह चाहे जो भी हो, लेकिन कुछ पंचायत चुनावों के नतीजे समाज की सोच में आए परिवर्तन की कहानी बयां कर रहे हैं।
चुनावों की युवाओं की भागीदारी बढ़ी
मसलन, 1995-96 में पंचायत चुनाव जीतने वाले कुल उम्मीदवारों में 21 से 35 साल वालों की संख्या लगभग 37 प्रतिशत थी, लेकिन दस साल बाद वर्ष 2005 में जो चुनाव हुए, उसमें जीत दर्ज करने वाले 46.61 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के थे। वर्ष 2015 में पंचायत चुनाव जीतने वाले कुल उम्मीदवारों में 21 से 35 साल वालों की संख्या लगभग 35.18 प्रतिशत थी और 35 से 60 साल के जीतने वाले उम्मीदवार की संख्या 59.4 प्रतिशत थी।
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पिछले चुनाव में 20,707 ग्राम प्रधान 35 साल से कम उम्र
वर्ष 2015 के पंचायत चुनावों की नतीजे बताते हैं कि 58,868 ग्राम प्रधानों में 20,707 ग्राम प्रधान 35 साल से कम उम्र के हैं। 816 ब्लाक प्रमुखों में 323 ब्लाक प्रमुख 35 साल के अंदर हैं और 74 जिला पंचायत अध्यक्षों में 41 जिला पंचायत अध्यक्ष 21 से 35 साल के बीच के ही हैं। कुछ ऐसी ही तस्वीर ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख के पदों पर भी है।
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चार चरणों में होंगे चुनाव
सूबे में यह चुनाव चार चरणों में- 15, 19, 26 और 29 अप्रैल को होंगे। पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई है। अब सूबे के हर गांव में पंचायत चुनावों को लेकर सरगर्मी हैं। अब देखना है कि यूपी की ग्रामीण जनता पंचायतों में तजुर्बे के मुकाबले जोश को कितना तरजीह देती है।