up panchayat chunav: UP Panchayat chunav: जानें, यूपी के पंचायत चुनाव में क्या है आरक्षण का पेच – know what is reservation issue in uttar pradesh panchayat chunav
हाइलाइट्स:
- यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण का काम हो रहा पूरा
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 17 मार्च तक आरक्षण का काम पूरा करने का दिया आदेश
- 2015 के पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार ग्राम प्रधानों के 880 पद हुए कम
- इस बार पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव होंगे
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Chunav) में हो रही लेटलतीफी पर आखिरकार लगाम लगती दिख रही है। गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंचायत चुनावों को लेकर अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि 17 मार्च तक आरक्षण का कार्य पूरा कर लिया जाए। पंचायत चुनाव में आरक्षण का विवाद क्या है? जानिए इस बार यह आरक्षण कैसे प्रभावित करेगा चुनाव?
अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव करवा लें। इसके बाद 15 मई तक जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनाव भी हो जाएं। दरअसल चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट में जो कार्यक्रम पेश किया था, उसमें चुनाव मई तक होने की बात थी। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण का कार्य 17 मार्च तक पूरा करने का निर्देश दिया।
पंचायत चुनाव में आरक्षण पर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं
दरअसल पिछले कुछ महीनों से पंचायत चुनाव में आरक्षण (Panchayat Chunav reservation list) को लेकर ही स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। हालांकि उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य और ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 15 फरवरी तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने का आश्वासन दिया था।
2015 के मुकाबले कम हुए ग्राम प्रधानों के पद
दरअसल साल 2015 के पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार प्रदेश में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो चुके हैं। 2015 में राज्य में विकास खंडों की संख्या 821 थी जो बढ़कर 826 हो चुकी है, यानी ब्लॉक प्रमुख के पदों में 5 पदों की बढ़ोतरी हुई है।
साल 2015 में 59,074 ग्राम प्रधानों के पद पर चुनाव कराए गए थे, लेकिन इस बार हुए संक्षिप्त परिसीमन में 880 ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल हो गई हैं। ऐसे में इस साल होने जा रहे पंचायत चुनाव में कुल 58194 ग्राम प्रधानों के पद पर ही चुनाव होंगे।
पांच चुनाव में आरक्षित नहीं हो सकीं सीटें
उत्तर प्रदेश में इस बार होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ऐसी क्षेत्र व जिला पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की जाएंगी जो पिछले पांच चुनाव में अब तक कभी आरक्षित ही नहीं हो सकीं। राज्य सरकार पंचायतीराज निदेशालय से मिले आंकड़ों और प्रस्तावों के आधार पर कुछ ऐसा ही फॉर्म्युला तैयार करवाने में जुटी है।
इस साल चुने जाएंगे 57,207 ग्राम प्रधान
इस साल पंचायत चुनाव में 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण को शून्य मानकर चक्रानुक्रम से शुरुआत की गई थी। इस बार चक्रानुक्रम में आरक्षण पिछली बार से आगे बढ़ेगा। पिछले पांच पंचायत चुनावों में चक्रानुक्रम का रोटेशन पूरा हो गया। इसके बावजूद तमाम क्षेत्र व जिला पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए अभी तक आरक्षित ही नहीं हो सकीं।
खासतौर पर क्षेत्र व जिला पंचायतों में वार्डों का आरक्षण तय करते समय तत्कालीन सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों ने अपनी सहूलियतों का ध्यान रखते हुए आरक्षण तय करवाया। मगर इस बार ऐसा नहीं होगा। प्रदेश सरकार वर्ष 2015 से पहले के चार पंचायत चुनावों में खासतौर पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई सीटों की पड़ताल करवा रही है और इसी आधार पर इस बार के चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण का फॉर्म्युला तैयार होगा।
इतने पद हैं-
ग्राम प्रधान : 58,194
ग्राम पंचायत सदस्य : 7,31,813
क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष : 826
क्षेत्र पंचायत सदस्य : 75,805
जिला पंचायत सदस्य : 3,051
जिला पंचायत अध्यक्ष : 75
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