know Causes mood swings, and effective ways to correct it| Mood Swings: मूड स्विंग्स कब बन जाता है खतरनाक! ऐसे करें पहचान
नई दिल्ली: मूड स्विंग्स (Rapid Mood Swings) को आमतौर पर लोग बेहद हल्के में लेते हैं. लेकिन कई बार मूड स्विंग्स बेहद खतरनाक भी साबित हो सकते हैं. कई बाद मूड स्विंग्स (Mood Swings Symptoms & Signs) की वजह से कई लोगों के मन में आत्महत्या जैसे घातक विचार भी आते हैं. मूड स्विंग्स कुछ दिनों से लेकर लंबे समय तक के लिए भी हो सकता है. कई बार मूड स्विंग्स की वजह से लोग जरूरत से ज्यादा खरीददारी, लोगों से बेवजह उलझने जैसी चीजों करते रहते हैं. अगर आपके साथ वर्तमान में ऐसी ही कोई समस्या है तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें.
मूड स्विंग क्या है?
ये जानना बेहद जरूरी है कि मूड स्विंग (Rapid Mood Swings) क्या है. दरअसल ये एक बायोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जिसकी वजह से दिमाग में एक प्रकार का रासायनिक असंतुलन हो सकता है. मूड स्विंग होने पर कभी व्यक्ति बेहद खुश और कभी बहुत उदास हो जाता है. कभी- कभार मूड स्विंग (Mood Swings Symptoms & Signs) होना अलग बात है लेकिन बार-बार मूड बदलने का कारण खून में मौजूद कार्टिसोल नामक स्ट्रेस का बढ़ना या थाइरॉयड असंतुलन भी हो सकता है. यह महिलाओं और पुरुषों दोनों को किसी भी उम्र में हो सकता है. यहां कुछ परिस्थितियां बताई जा रही है जिससे आप इसके लक्षण को पहचान सकते हैं और उचित इलाज भी करा सकते हैं.
मूड स्विंग के लक्षण – Mood Swing Symptoms in Hindi
मूड स्विंग के लक्षण अलग अलग परिस्थितियों में अलग- अलग होते हैं. मूड स्विंग्स के अलावा आपको खुद में कई और मनोवैज्ञानिक लक्षण नजर आ सकते हैं. ये लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत दिखाएं
बेचैनी, चिड़चिड़ापन महसूसन होना
हर वक्त उदासी या विरक्त्ता महसूस होना
मूड, व्यवहार या व्यक्तित्व में बदलाव
चीजें भूलने लगना या भ्रम की स्थिति
किसी चीज पर ध्यान लगाने में दिक्कत महसूस होना
सोचने, बोलने, लिखने या पढने में दिक्कत महसूस होना
शरीर में ऊर्जा की कमी लगना, हर वक्त थकान महसूस होना
आत्मविश्वास और काम करने की इच्छा में कमी
ज्यादा या कम भूख लगना
नींद न आना, अनिद्रा की समस्या
मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां (Causes Of Mood Swings)
मूड स्विंग की वजह कई बार मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां भी हो सकती है. इसके कारण भी मूड में गंभीर बदलाव दिख सकता है. इन्हें मूड डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है. इसके भी अलग अलग प्रकार होते हैं.
बाईपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder)
यदि आपको बाईपोलर डिसऑर्डर है, तो आप एकदम से खुश या एकदम से दुखी हो सकते हैं. लेकिन बाइपोलर डिसऑर्डर से जुड़े मूड स्विंग्स आम तौर पर साल में कभी- कभार ही होता है. रैपिड-साइकलिंग बाइपोलर डिसऑर्डर में भी ऐसा ही होता है.
साइक्लोथैमिक डिसऑर्डर (Cyclothemic Disorder)
साइक्लोथिमिक डिसऑर्डर (Cyclothymic disorder) या साइक्लोथाइमिया, बाईपोलर डिसऑर्डर की तरह होता है. यह भी एक हल्का, सामान्य सा मूड स्विंग ही है. इसमें भी लोगों के इमोशन ऊपर-नीचे होते हैं लेकिन यह समस्या बाईपोलर डिसऑर्डर से कम गंभीर है.
मेजर डिप्रेसिव बाईपोलर डिसऑर्डर (Major depressive disorder, MDD)
एमडीडी से पीड़ित लोग लंबे समय तक अवसाद में रहते हैं. एमडीडी को कभी-कभी क्लिनिकल डिप्रेशन भी कहा जाता है. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.
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डिस्टीमिया (Dysthymia)
डिस्टीमिया भी अवसाद का एक प्रकार है लेकिन इसमें गंभीर समस्या होती है. इसे अब लगातार अवसादग्रस्तता विकार (PPD) कहा जाता है जो कि अवसाद का एक गंभीर रूप है.
पर्सनालिटी डिसऑर्डर
पर्सनालिटी डिसऑर्डर कभी कभी बेहद खतरनाक साबित हो जाता है. इसमें कम समय में तेजी से मूड स्विंग्स होते हैं.
विघटनकारी मनोदशा विकृति विकार (Disruptive mood dysregulation disorder, DMDD)
DMDD का असर आमतौर पर केवल बच्चों में ही देखा जाता है. इससे पीड़ित बढ़ती उम्र के बच्चों में विकास काफी धीमे होता है. साथ ही ये बच्चे जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते हैं.
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हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes)
बदलते उम्र और हार्मोन में बदलाव के कारण भी मूड स्विंग हो सकता है. यूथ्स और महिलाएं जो गर्भवती हैं या मेनोपॉज से गुजर रही हैं, वे अपने शरीर के विकास के इस चरण से जुड़े हार्मोनल परिवर्तनों के कारण मूड स्विंग्स का अनुभव करते हैं. कई बार इसकी वजह से एंग्जायटी भी हो जाती है.
मूड स्विंग से बचाव
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि प्रकार का ‘बायोलाॅजिकल डिसऑर्डर’ है, जिससे निपटने के लिए व्यक्ति को परिवार और दोस्तों आदि की जरूरत पड़ती है. इन उपायों को अपना कर आप मूड स्विंग से बच सकते हैं.
अच्छी नींद लें
नकारात्मकता से बचें
खूब पानी पिएं
व्यायाम करें
ताजी हवा रोज लें
हेल्दी डाइट लें
रूटीन लाइफस्टाइल रखें
म्यूजिक सुनें
घर का माहौल सुगंधित रखें
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